Daily Meditation Hindi Course – February 2023

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२१ दिवसीय ध्यान कार्यक्रम

आत्मशान्ति और ध्यान का अनुभव

अंतर्राष्ट्रीय सहज योग हिंदी सामूहिकता द्वारा प्रस्तुत

अब हर गुरुवार अप्रैल और मई 2023 के दौरान • 4:30PM to 5:30PM (IST)
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सप्ताह 1 – अपने अंदर की ऊर्जा को जागृत कर आंतरिक मौन का आनंद लें | 25 फरवरी से 3 मार्च 2023
दिन 1 : अंतरिक मौन का अनुभव । | 25 फरवरी 2023 |4:30PM to 5:30PM (IST)

हम अपने भीतर एक दिव्य मातृ शक्ति के जागरण का अनुभव करेंगे जो धीरे-धीरे हमें मौन की स्थिति में ले जाती है।

“ध्यान इतना सुखदाई है, परमात्मा से जुड़ने का इतना सुंदर तरीका है की आपकी सभी समस्याएं इस ध्यानपूर्ण अवस्था में हल हो जाती हैं।”
– श्री माताजी निर्मला देवी, सहजयोग संस्थापिका

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दिन 2 : ध्यान में निर्विचारिता का विस्तार। | 26 फरवरी 2023 |4:30PM to 5:30PM (IST)

अपने चित्त को शांत करना सीखें, अपने विचारों को कम करें और आंतरिक मौन के अपने आनंद को बढ़ाएं।

“जैसे एक पहिया जो घूम रहा है, अगर आपका ध्यान पहिये पर है, परिधि पर है, तो आपका दिमाग हर समय चलता रहता है। लेकिन अगर आप पहिए की धुरी पर आ जाते हैं, तो यह मौन है।
– श्री माताजी निर्मला देवी, सहजयोग संस्थापिका

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दिन 3 : आंतरिक शांति और संतुलन। | 27 फरवरी 2023 | 4:30PM to 5:30PM (IST)

हमारा चित्त अतीत में, भविष्य में जा सकता है, अथवा स्थिर होकर, शांत और वर्तमान में स्थापित हो सकता है। संतुलन की स्थिति में, हम स्वयं के सत्य को पहचानने के लिए आंतरिक और बाहरी बाधाओं को दूर करने में सक्षम हो जाते हैं।

“आत्मा उस चित्त पर प्रकाशित होगी जो स्थिर है। इसे स्थिर करें। संतुलन बनाकर आप इसमें स्थिरता लाते हैं। अपने विचारों को संतुलित करें, अपनी आँखों को संतुलित करें, अपनी इच्छाओं को संतुलित करें।” – श्री माताजी निर्मला देवी, संस्थापक, सहज योग

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दिन 4 : हम सब बहुत खूबसूरती से बनाए गए हैं। | 28 फरवरी 2023 | 4:30PM to 5:30PM (IST)

हमारा चित्त अतीत या भविष्य में जा सकता है, जिससे ध्यान करना एक चुनौती बन जाता है। हम तीन ऊर्जा चैनलों के बारे में सीखेंगे, और उन्हें कैसे संतुलित करें ताकि हम वर्तमान में और अपने आध्यात्मिक उत्थान के मार्ग पर आ सकें।

“आप सब खूबसूरती से बनाए गए एक उपकरण हैं, बिल्कुल इतनी खूबसूरती से बनाया गया है कि एक बार जब आप इसे खोज लेंगे, तो आप हैरान रह जाएंगे कि आप क्या हैं।” – श्री माताजी निर्मला देवी, संस्थापक, सहज योग

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दिन 5 : ध्यान के माध्यम से आंतरिक परिवर्तन। | 1 मार्च 2023 | 4:30PM to 5:30PM (IST)

हम अपने भीतर मौजूद सूक्ष्म ऊर्जा केंद्रों (चक्रों) के जन्मजात गुणों की चर्चा करते हैं। हम सीखेंगे कि सहज योग ध्यान के माध्यम से हम इन गुणों को अपने दैनिक जीवन में कैसे आत्मसात कर सकते हैं।

“पहली बात यह होनी चाहिए कि आप स्वयं को देखें, कि आप प्रतिक्रिया तो नहीं कर रहे हैं, बल्कि आप मौन, सूक्ष्मता, सुंदरता, अपने आस्तित्व के गौरव का अनुभव कर रहे हैं और उसका आनंद ले रहे हैं।” – श्री माताजी निर्मला देवी, संस्थापक, सहज योग

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दिन 6 : प्राकृतिक तत्वों का उपयोग। | 2 मार्च 2023 | 4:30PM to 5:30PM (IST)

सहज योग में हम अपने ध्यान को गहरा करने के लिए जल, पृथ्वी, अग्नि, आकाश और वायु के प्राकृतिक तत्वों का उपयोग करते हैं। नमक-पानी पैर क्रिया (Foot Soaking) हमें हमारी सूक्ष्म प्रणाली को साफ करने में मदद करती है और हमारे ध्यान के आनंद को बढ़ाती है।

“केवल ध्यान में आप वर्तमान में हैं और आप अपनी आध्यात्मिकता में बढ़ते हैं।” – श्री माताजी निर्मला देवी, संस्थापक, सहज योग

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दिन 7 : आप क्या महसूस कर रहे हैं | 3 मार्च 2023 | 4:30PM to 5:30PM (IST)

हम अपने चित्त को स्थिर करेंगे और अपने सूक्ष्म अस्तित्व को प्रभावित करने वाले असंतुलन को पहचान कर उन्हें दूर करना सीखेंगे। धीरे-धीरे, हम अपनी सूक्ष्मता, मौन और आत्म-ज्ञान में और गहराई प्राप्त करेंगें।

” आपके हाथों में ठंडी हवा महसूस होने लगती है । वे स्वयं के चक्रों और अन्य लोगों के चक्रों को महसूस करने लगते हैं। अपने हाथों से आप कुंडलिनी उठा सकते हैं, अपने हाथों से आप आत्मसाक्षात्कार दे सकते हैं। ये हाथ शक्तिशाली चीजें बन जाते हैं। – श्री माताजी निर्मला देवी, संस्थापक, सहज योग

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सप्ताह 2 - चक्रों और नाड़ियों का संतुलन एवं आध्यात्मिक गहराई | 4 - 10 मार्च 2023
दिन 8 - बाएँ चैनल को साफ़ करना और दाईं नाड़ी / चैनल को बर्फ से ठंडा करना। शनिवार, 4 मार्च, 2023 4:30PM (IST)

जब हमारा बायां चैनल साफ हो जाता है, तो हम महसूस कर सकते हैं कि ईश्वर हमें कितना प्यार करते हैं। इसके लिए हम मोमबत्ती उपचार का प्रदर्शन करेंगे

हम अपने चित्त को स्थिर करने और अपनी प्रतिक्रियाशीलता को कम करने के लिए बर्फ़ उपचार विधि (Ice Treatment) का प्रदर्शन करेंगे।

“यह सब स्वभाव इतना शीतल और इतना सुंदर हो जाता है। यह बहुत आश्चर्यजनक है। एक अति गतिशील व्यक्ति अत्यंत प्रेममय बन जाता है।”” – श्री माताजी निर्मला देवी, संस्थापक, सहज योग

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दिन 9 - सहजयोग ध्यान कार्यशाला । रविवार, 5 मार्च, 2023 4:30PM (IST)

“”स्वतंत्रता के साथ सूझ-बुझ का होना आवश्यक है। इसलिए, दोनों तरफ़, दोनों तरफ़ आंदोलित रहना गलत हैं। तो, क्या सही है? मध्य में होना। किसी भी चीज़ से विचलित नहीं होना है और अहंकारी नहीं होना है। “”- श्री माताजी निर्मला देवी

यह अनुभवी सहजयोगी के साथ छोटी कार्यशाला के रूप में होगी। आप अपने सूक्ष्म तंत्र को साफ करने और ध्यान में गहराई पाने की तकनीक सीखेंगे। यह इंटरैक्टिव वर्कशॉप केवल Zoom प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है।
सुरक्षा नोट: हम अपने बाएं चैनल के असंतुलन को दूर करने के लिए एक मोमबत्ती का उपयोग करेंगे। सुरक्षा एहतियात के तौर पर, अगर आप ढीले कपड़े पहन रहे हैं या किसी ऐसी चीज के पास हैं जो आग पकड़ सकते हैं तो इस उपचार को न करें। पूरा ख्याल रखना हैं। आप कुर्सी या फर्श पर बैठ सकते हैं।
क्या लाना है: इस सत्र के शुरू होने से पहले, कृपया इन वस्तुओं की व्यवस्था कर लें –
– एक छोटी मोमबत्ती प्लेट या मोमबती स्टैंड में सुरक्षित
– माचिस या लाइटर
– आइस पैक

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दिन 10 - हमारी बच्चों जैसी अबोधिता को पुनः स्थापित करना। 6 मार्च, 2023 4:30PM (IST]

हमलोग पहले ऊर्जा केंद्र पर ध्यान केंद्रित करेंगे, मूलाधार चक्र । संस्कृत में, “”मूलाधार”” का अर्थ है ‘मूल’ का आधार’। यह चक्र सूक्ष्म तंत्र का आधार है। इसके जन्मजात गुण हैं पवित्रता, आबोधिता, आनंद और बुद्धिमता।

“”यह आबोधिता कभी नष्ट नहीं होती क्योंकि यह शाश्वत है, लेकिन ऐसा हो सकता है कि हमसे हुई गलतियों की वजह से यह कुछ बादलों से ढक जाए । लेकिन एक बार जब आप अपना बोध प्राप्त कर लेते हैं, तो आपकी आबोधिता फिर से स्थापित हो जाती है, और आप अबोध हो जाते हैं।”” – श्री माताजी निर्मला देवी

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दिन 11 - उत्थान के लिए शुद्ध इच्छा से जुड़ना। मंगलवार, 7 मार्च, 2023 4:30PM (IST)

स्वाधिष्ठान, दूसरा चक्र, यह सृजनशीलता, शुद्ध विद्या, शुद्ध इच्छा और शुद्ध चित्त का केंद्र है। हमारे भीतर शुद्ध इच्छा की शक्ति हमारी आध्यात्मिक यात्रा का मार्गदर्शन करती है। इस चक्र को खोलने से हमें अपनी नियंत्रण करने की आवश्यकता को छोड़ने में मदद मिलती है, और हम दैवीय शक्ति को इन चीजों को कार्य करने देते हैं।

“”सोचना, सोचना, सोचना, योजना बनाना, योजना बनाना, योजना बनाना, दौड़ना। अंतत: सारा आनंद गायब हो जाता है।”” – श्री माताजी निर्मला देवी

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दिन 12 - अपने दैनिक जीवन में संतोष का अनुभव करना। बुधवार, 8 मार्च, 2023 4:30PM (IST)

तीसरा चक्र, नाभि, वह स्थान है जहां से आध्यात्मिक उत्थान के लिए हमारी खोज की इच्छा उत्पन्न होती है। जब यह चक्र साफ हो जाता है, तो हम संतुष्टि, उदारता और शांति के अपने दिव्य गुणों का अनुभव करते हैं।

“”दुनिया में शांति तब तक नहीं हो सकती जब तक कि हमारे भीतर शांति न हो।”” – श्री माताजी निर्मला देवी

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दिन 13 - मैं अपना स्वयं का शिक्षक हूं। गुरुवार, 9 मार्च, 2023 4:30PM (IST)

सहज योग के दैनिक अभ्यास से हम अपने स्वयं के गुरु बन जाते हैं। हम खुद से बहस करना बंद कर देते हैं। हम अपने आंतरिक मार्गदर्शन को स्वीकार करते हैं और उसका पालन करते हैं। हम सभी अतिवादी व्यवहारों को पीछे छोड़ देते हैं, चाहे वह अति-भोग हो या अति-सख्ती।

“”आपको अपना खुद का गुरु बनना है मतलब आपको खुद का मार्गदर्शन करना है। आपको अपने आप को अपना शिष्य मानना होगा और आपको खुद को काँट-छाँट करना होगा। – श्री माताजी निर्मला देवी

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दिन 14 - निर्वाज्य प्रेम। शुक्रवार, 10 मार्च, 2023 4:30PM (IST)

आइए सामूहिक रूप से अपने हृदय चक्र को खोलें ताकि हम प्रेम, करुणा, सुरक्षा और निडरता के अपने सहज गुणों को महसूस कर करें।

“”आप आनंद के स्रोत बन जाते हैं, ऐसा नहीं है कि आप केवल आनंद प्राप्त करते हैं बल्कि आप आनंद का स्रोत, और शांति का स्रोत बन जाते हैं। ऐसा व्यक्ति जहां भी जाता है, वहाँ सब शांत हो जाता है।”” – श्री माताजी निर्मला देवी

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सप्ताह 3 - ध्यान के माध्यम से निर्विचार जागरूकता | 11 - 17 मार्च 2023
दिन 14 - निर्वाज्य प्रेम। शुक्रवार, 10 मार्च, 2023 4:30PM (IST)

आइए सामूहिक रूप से अपने हृदय चक्र को खोलें ताकि हम प्रेम, करुणा, सुरक्षा और निडरता के अपने सहज गुणों को महसूस कर करें।

“”आप आनंद के स्रोत बन जाते हैं, ऐसा नहीं है कि आप केवल आनंद प्राप्त करते हैं बल्कि आप आनंद का स्रोत, और शांति का स्रोत बन जाते हैं। ऐसा व्यक्ति जहां भी जाता है, वहाँ सब शांत हो जाता है।”” – श्री माताजी निर्मला देवी

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दिन 15 - साक्षी अवस्था शनिवार, 11 मार्च, 2023 4:30PM (IST)

हम अपने आत्म-सम्मान और दूसरों के प्रति सम्मान की भावना को मजबूत करने के लिए अपना ध्यान विशुद्धि चक्र पर लगाएंगे। इस चक्र की शक्ति हमें जीवन के इस नाटक का एक अलग साक्षी बनने में हमारी मदद करती है।

“” साक्षी स्वरूप इसलिए होते है क्योंकि आप आत्मा के साथ एक हो जाते हैं जो आसक्त नहीं है, जो आपको वह प्रकाश देता है, जहां से आप पूरी चीज को एक नाटक के रूप में देख सकते हैं।”” – श्री माताजी निर्मला देवी

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दिन 16 - सहजयोग ध्यान कार्यशाला रविवार, 12 मार्च, 2023 4:30PM (IST)

“”स्वतंत्रता के साथ सूझ-बुझ का होना आवश्यक है। इसलिए, दोनों तरफ़, दोनों तरफ़ आंदोलित रहना गलत हैं। तो, क्या सही है? मध्य में होना। किसी भी चीज़ से विचलित नहीं होना है और अहंकारी नहीं होना है। “”- श्री माताजी निर्मला देवी

यह अनुभवी सहजयोगी के साथ छोटी कार्यशाला के रूप में होगी। आप अपने सूक्ष्म तंत्र को साफ करने और ध्यान में गहराई पाने की तकनीक सीखेंगे। यह इंटरैक्टिव वर्कशॉप केवल Zoom प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है।
सुरक्षा नोट: हम अपने बाएं चैनल के असंतुलन को दूर करने के लिए एक मोमबत्ती का उपयोग करेंगे। सुरक्षा एहतियात के तौर पर, अगर आप ढीले कपड़े पहन रहे हैं या किसी ऐसी चीज के पास हैं जो आग पकड़ सकते हैं तो इस उपचार को न करें। पूरा ख्याल रखना हैं। आप कुर्सी या फर्श पर बैठ सकते हैं।
क्या लाना है: इस सत्र के शुरू होने से पहले, कृपया इन वस्तुओं की व्यवस्था कर लें –
– एक छोटी मोमबत्ती प्लेट या मोमबती स्टैंड में सुरक्षित
– माचिस या लाइटर
– आइस पैक

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दिन 17 - क्षमा । सोमवार, मार्च 13, 2023 4:30PM (IST)

आज्ञा चक्र को खोलने के लिए आइए क्षमा करना सीखें। यह दिव्य की सर्वव्यापी शक्ति से जुड़ने के लिए सूक्ष्म मार्ग को साफ करता है।

“”जब आप किसी व्यक्ति को क्षमा करते हैं, तो आप क्या करते हैं? शुरुआत में आप स्थिति को स्वीकार करते हैं, और दूसरी बात यह है कि आप क्षमा कर देते हैं जो कुछ भी आपके साथ गलत हुआ है। पर, क्योंकि आपकी आत्मा के लिए कुछ भी गलत नहीं किया जा सकता, इसलिए आप क्षमा करते हैं क्योंकि आप आत्मा है “”
– श्री माताजी निर्मला देवी

सफ़ाई, संतुलन और ध्यान कार्यशाला
यह अनुभवी सहजयोगी के साथ छोटी कार्यशाला रूप में होगी। आप अपने सूक्ष्म तंत्र को साफ करने और ध्यान में गहराई पाने की तकनीक सीखेंगे। यह इंटरैक्टिव वर्कशॉप केवल Zoom प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है।

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दिन 18 - सात चक्रों का एकीकरण मंगलवार, मार्च 14, 2023 4:30PM (IST)

सहस्रार में हम अपनी सभी चिंताओं, विचारों को छोड़ सकते हैं। हम उन्हें सहस्रार के ऊपर के मौन को अर्पित कर सकते हैं। यहीं पर हमारा चित्त सर्वोपरि, ईश्वरीय शक्ति से जुड़ जाता है।

“”सहज योग में पहले इमारत के शिखर और फिर नींव को बनाते है। आपका सहस्रार खोलना पहली चीज थी जो घटित हुई और फिर सहस्रार के प्रकाश में आपको खुद को देखना होगा और खुद को ठीक करना होगा।”- श्री माताजी निर्मला देवी

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दिन 19 - मंत्रों की जानकारी और उनका महातव बुधवार, 15 मार्च, 2023 4:30PM (IST)

हम अपने भीतर के मौन में गहराई तक जाकर ध्यान के अनुभव को बढ़ाते हैं। हमारे चक्रों को साफ करने और ध्यान की स्थिति को मजबूत करने के लिए संस्कृत में मंत्र और प्रार्थना की शक्ति का प्रयोग करें।

“”ध्यान ही एकमात्र तरीका है जिससे आप अपने आप को वास्तविकता की सुंदरता से समृद्ध कर सकते हैं। कोई दूसरा रास्ता नहीं है। मुझे ध्यान के अलावा कोई और रास्ता नहीं दिखता है जिससे आप परमात्मा के साम्राज्य में आ सकें।”” -श्री माताजी निर्मला देवी

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दिन 20 - संगीत और बीज मंत्र गुरुवार, 16 मार्च, 2023 4:30PM (IST)

हम ध्यान की अवस्था में गहराई तक जाकर अपने आत्म-साक्षात्कार का पूरा लाभ उठाएंगे । हम निर्विचारिता को बनाए रखने के लिए संगीत की शक्ति का लाभ लेंगे।

“”अब निर्विचारिता प्राप्त करना बहुत सरल और आसान है। लेकिन उस स्थिति को बनाए रखना मुश्किल है। हम अभी भी प्रतिक्रिया करते हैं और हम सोचते हैं। आप जो कुछ भी देखते हैं, आप प्रतिक्रिया करते हैं। निर्विचारिता में उस स्थिति पर पहुंचने के लिए सबसे पहले अपना चित्त बदलना होगा …. हर चीज को साक्षी स्वरूप हो कर देखें …. वहां मौजूद हर चीज का आनंद लें। यहां तक कि घास के एक छोटे से तिनके का भी आप आनंद ले सकते हैं।”” – श्री माताजी निर्मला देवी

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दिन 21 - यह तो बस एक शुरूआत है। शुक्रवार, 17 मार्च, 2023 4:30PM (IST)

इस श्रृंखला के अंतिम सत्र में, हमने जो कुछ भी सीखा है, उसे एकीकृत करते है। हम अपने भीतर देखते हैं और देखते हैं कि हमारी जागरूकता में कितना विकास हुआ है। ध्यान में अपनी यात्रा को जारी रखने के लिए आपको पता चल जाएगा कि इस कोर्स के बाद क्या आता है। यदि आपसे कुछ सत्र छुठ गए हैं, तो चिंता न करें क्योंकि यह संपूर्ण पाठ्यक्रम हमारे YouTube चैनल पर भी उपलब्ध है।

“”यदि आप ध्यान की स्थिति में हैं, तो आप इस दैवीय शक्ति के संपर्क में हैं। फिर जो कुछ भी आपके लिए अच्छा है, जो आपके समाज के लिए अच्छा है, आपके देश के लिए है, वह सब इस दैवीय शक्ति द्वारा किया जाता है…. बस अगर आप ध्यान करते हैं तब आप इस दैवीय शक्ति से एकरूप हैं।”” – श्री माताजी निर्मला देवी

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उन्नत ध्यान कार्यशालाएँ
भाग 1 - श्री गणेश, मूलाधार चक्र की चार पंखुड़ियाँ और ॐ ध्यान | गुरुवार 30 मार्च 2023 | 4:30PM to 5:30PM (दिल्ली समय/ IST)

उन्नत कार्यशाला श्रृंखला में आपका स्वागत है
आज हम मूलाधार चक्र और इस ऊर्जा केंद्र को नियंत्रित करने वाले देवता के बारे में अधिक जानेंगे

हम मूलाधार चक्र की चार पंखुडिय़ों के बारे में भी सीखेंगे और ध्यान करेंगे और ओम् (ॐ) कैसे गाते हैं – स्वयं को शुद्ध करने के लिए तीन सरल अक्षरों की ध्वनियाँ!

“गणेश सबसे प्यारी चीज है जिसके बारे में आप सोच सकते हैं, यहां तक कि जब आप गणेश को देखते हैं;यह कौतुक यह भोली प्रशंसा बहने लगती है।केवल उनके बारे में सोचो, तुम बहुत खुश महसूस करते हो।” – परम पावन श्री माताजी निर्मला देवी (संस्थापक)

“श्री गणेश कौन हैं?हम कैसे विश्वास करें कि श्री गणेश हैं या नहीं?यह एक विचारणीय प्रश्न है।आपने श्री गणेश को नहीं देखा है, आपने उन्हें नहीं जाना है, इसलिए आपको उन पर विश्वास नहीं करना चाहिए।लेकिन यह एक अजीब बात है कि जब तक आप अंदर नहीं आते तब तक आप देख नहीं सकते हैं और जब तक आप बाहर खड़े हैं तब तक आपको विश्वास नहीं होगा।” – परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी

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भाग 2 - श्री ब्रह्मदेवी/श्री सरस्वती | गुरुवार 6 अप्रैल 2023 | 4:30PM to 5:30PM (दिल्ली समय/ IST)

आइए आज जानें कि देवता श्री ब्रह्मा और श्री सरस्वती हमारे दूसरे ऊर्जा केंद्र – स्वाधिष्ठान चक्र की देखभाल कैसे करते हैं।

“श्री विष्णु का आसन इस हमारे नाभि चक्र में है। श्री विष्णु जो इस सागर पर लहरा रहे हैं, वे प्रेम के सागर हैं। कहा जाता है कि श्री विष्णु की नाभि से, ब्रह्मदेव का जन्म हुआ (निर्मित), सत्य है, और होना ही था। इस नाभी पर आदिशक्ति ने श्री ब्रह्मदेव को बनाया, जिन्होंने पूरी दुनिया की रचना की। इसमें कोई धर्म शामिल नहीं है। ” – पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी

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भाग 3a - श्री लक्ष्मी और विष्णु | गुरुवार 13 अप्रैल 2023 | 4:30PM to 5:30PM (दिल्ली समय/ IST)

आइए आज जानें कि देवी-देवता श्री लक्ष्मी और श्री विष्णु हमारे तीसरे ऊर्जा केंद्र – नाभि चक्र की देखभाल कैसे करते हैं।

नाभि का मंत्र है: “मैं एक संतुष्ट आत्मा हूं।”

“एकीकरण से, आपको वह करने की शक्ति मिलती है जो आप समझते हैं और आप जो समझते हैं उससे खुश महसूस करने की शक्ति रखते हैं।” – पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी

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भाग 3b - श्री आदि गुरु दत्तात्रेय और 10 गुरु | गुरुवार 20 अप्रैल 2023 | 4:30PM to 5:30PM (दिल्ली समय/ IST)

आइए आज श्री आदि गुरु दत्तात्रेय के बारे में जानें और जानें कैसे इस धरती पर 10 आदि गुरु आए और हमारे गुरु सिद्धांत को संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं।

“ये सभी आदि गुरु और उनके अवतार, यदि आप उन्हें देखें, उनके पास हमेशा संतुलन था और हमेशा भगवान के प्रेम की प्रशंसा की।” – परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी

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भाग 4 - अनाहत (हृदय) चक्र | गुरुवार 27 अप्रैल 2023 | 4:30PM to 5:30PM (दिल्ली समय/ IST)

आइए आज हृदय के मूल देवता के बारे में जानें: श्री जगदंबा और बाएं और दाएं हृदय चक्रों के देवता भी।

“यह केंद्र श्री जगदंबा ‘विश्व की माता’ का स्थान है। वह सभी साधकों और सभी संतों और पैगम्बरों की माँ है और वह उन सभी साधकों की रक्षा करती है जो नकली गुरुओं और झूठे गुरुओं द्वारा गुमराह या बहकाए जाते हैं। वह साधकों की रक्षा भी करती हैं जब वे अपने बोध को प्राप्त करने का प्रयास कर रहे होते हैं और कुछ नकारात्मक शक्तियां उन्हें नीचे खींचने का प्रयास करती हैं।” – श्री माताजी निर्मला देवी (संस्थापक)

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भाग 5 - विशुद्ध चक्र | गुरुवार 4 मई 2023 | शाम 4:30 से शाम 5:30 (दिल्ली समय/ IST)

आइए आज हम विशुद्धि के साथ-साथ बाएँ और दाएँ पहलुओं के बारे में भी जानें।

पाँचवाँ चक्र (विशुद्धि) कूटनीति का, दूसरों के साथ शुद्ध संबंधों का, और चंचल वैराग्य का चक्र है। कुंडलिनी द्वारा खोले जाने पर यह हमारे सारे अपराध बोध और पछतावे को दूर करता है, और हमें एक दयालु और करुणामयी आवाज देता है। जब यह चक्र कुण्डलिनी द्वारा पोषित होता है तो दूसरों पर हावी होने या दूसरों पर हावी होने की प्रवृत्ति, श्रेष्ठता या हीनता की भावना और सभी ईर्ष्या दूर हो जाती है।

“जब हम साक्षी भाव से देखते हैं, और पूरी दुनिया एक नाटक की तरह हो जाती है” – श्री माताजी निर्मला देवी (संस्थापक)

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भाग 6 - आज्ञा चक्र | गुरुवार 11 मई 2023 | शाम 4:30 से शाम 5:30 (दिल्ली समय/ IST)

आइए आज आज्ञा के बारे में और साथ ही बाएँ और दाएँ पहलुओं के बारे में जानें।

प्रभु यीशु मसीह आज्ञा चक्र के देवता हैं। हमें यह याद रखना है कि ईसा मसीह का जन्म इस धरती पर मनुष्य के रूप में हुआ था। वे इस धरती पर आए, और उनके सामने जो काम था, वह मानवीय जागरूकता को समझ के साथ प्रबुद्ध करना था।

“मेंने माफ किया।” यह सबसे बड़ा हथियार है जो ईसा मसीह ने हमें दिया है। आप बस कहें, “मैं क्षमा करता हूं, मैं क्षमा करता हूं,” और आप अपने अहंकार को दूर कर सकते हैं। यह इस चक्र का मंत्र है … आप पाएंगे कि आपका आज्ञा चक्र खुल गया है और अहंकार दूर हो जाएगा।” – श्री माताजी निर्मला देवी (संस्थापक)

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भाग 7 - सहस्त्रार और तीन महान मंत्र | गुरुवार 18 मई 2023 | शाम 4:30 से शाम 5:30 (दिल्ली समय/ IST)

आइए मंत्रों के बारे में हमने जो सीखा है उसे समेकित करें और सहस्रार के लिए महामंत्रों (तीन महान मंत्रों) को जानें।

शुद्ध आत्मा बनो और अपने स्वयं के गुरु बनो, अपने स्वयं के विचारों और कार्यों के गुरु बनो।

“जब आप आत्मा बन जाते हैं, तो आप स्वयं के गुरु बन जाते हैं।” – श्री माताजी निर्मला देवी (संस्थापक)

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भाग 8 - हवन और पूजा क्या है? | गुरुवार 25 मई 2023 | शाम 4:30 से शाम 5:30 (दिल्ली समय/ IST)

आइए मंत्रों के बारे में हमने जो सीखा है उसे समेकित करें और महामंत्रों (तीन महान मंत्रों) को जानें।

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संसाधन

पाठ्यक्रम से सम्बंधित ध्यान मार्गदर्शिकाएँ, ध्यानात्मक संगीत, वीडियो और ऑडियो आदि सामग्री।

यहाँ कुछ जानकारी ‘उन्नत’ है, कृपया सुनिश्चित करे की आपने कोर्स कर लिया है और नियमित रूप से ध्यान कर रहे हैं। यदि आपका कोई प्रश्न हो तो पाठ्यक्रम सत्रों के दौरान पूछ सकते हे

सभी संसाधन देखें
संसाधन - सहज योग ध्यान में आपका स्वागत है

सहज योग ध्यान में आपका स्वागत है

“आप तब तक अपने जीवन का अर्थ नहीं जान सकते जब तक कि आप उस शक्ति से नहीं जुड़ जाते जिसने आपको बनाया है।”
प. पु. श्री माताजी निर्मला देवी – सहज योग ध्यान के संस्थापक

आपका आत्म साक्षात्कार
आज, आपको सहज योग ध्यान से परिचित कराया गया है और आपने आत्मसाक्षात्कार प्राप्त किया है। आत्म-साक्षात्कार तब होता है जब कुंडलिनी जो हम सभी के भीतर एक मातृ ऊर्जा जागृत होती है और हमें सर्वव्यापी शक्ति से जोड़ती है।

ध्यान
नियमित ध्यान के माध्यम से, हम अपने ऊर्जा केंद्रों (चक्रों) को शुद्ध और संतुलित करने के लिए अपनी कुंडलिनी को मजबूत करते हैं। ध्यान हमें आंतरिक शांति और मौन का अनुभव करने के लिए हमारे विचारों (निर्विचार जागरूकता) से परे जाने की अनुमति देता है। नियमित ध्यान में केवल कुछ मिनट लगते हैं और यह वास्तव में काम करता है!

ध्यान का अनुभव करें
कुछ पल के लिए चुपचाप बैठें और अपने हाथों को, हथेलियों को ऊपर की ओर, फोटोग्राफ की ओर रखें। आप ठंडी या गर्म हवा महसूस कर सकते हैं और आपके विचार शांत हो सकते हैं। 5 से 10 मिनट तक मौन रहकर ध्यान करना जारी रखें।

प. पु. श्री माताजी निर्मला देवी

सहज योग ध्यान के बारे में
सच्चा ध्यान एक व्यक्तिगत अनुभव है, जहाँ व्यक्ति विचारों, चिंताओं और परेशानियों से परे जाता है। ‘निर्विचार जागरूकता’ के माध्यम से एक व्यक्ति शांत और शांतिपूर्ण है – अर्थात, कोई अवांछित विचार नहीं बल्कि पूरी तरह से जागरूक है। सहज योग ध्यान का उपयोग विश्व स्तर पर लाखों लोगों द्वारा किया जाता है, दैनिक दिनचर्या में न्यूनतम व्यवधान के साथ, वास्तव में मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक कल्याण में आंतरिक संतुलन, आनंद और सुधार प्राप्त करने के लिए.

सहज, सह का अर्थ है ‘साथ’, जा का अर्थ है ‘जन्म’। तुम्हारे साथ पैदा हुआ। वह सहज है। योग का अर्थ है परमात्मा से मिलन। तो, सहज योग परमात्मा के साथ आपके स्व का सहज मिलन है।

श्री माताजी कौन हैं?
श्री माताजी निर्मला देवी (या ‘माँ’, जैसा कि उन्हें प्यार से जाना जाता है) ने 1970 में सहज योग ध्यान की स्थापना की। 40 से अधिक वर्षों तक, उन्होंने हजारों व्याख्यान दिए और दुनिया भर में लाखों लोगों को आसानी से ध्यान करने का तरीका सिखाया। 1923 में भारत में जन्मी, उन्होंने महात्मा गांधी के साथ काम किया और स्वतंत्रता के लिए भारत की लड़ाई में बहुत शामिल थीं। वह एक मां और दादी थीं और एक भारतीय शाही परिवार की वंशज थीं।

सूक्ष्म तंत्र
हमारे तंत्रिका तंत्र को ढंकते हुए, एक सूक्ष्म प्रणाली है जिसमें ऊर्जा चैनल (‘नाड़ियां’, आरेख पर ए से सी देखें) और ऊर्जा के केंद्र (‘चक्र’, आरेख पर 1 से 7 देखें) शामिल हैं। यह प्रणाली हमारे शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक अस्तित्व की देखभाल करती है। ‘आत्मज्ञान’ पर, हमारी आत्मा जागृत हो जाती है, और सूक्ष्म प्रणाली उस सर्वव्यापी जीवन शक्ति से जुड़ जाती है जो इसे सच्चे ध्यान के माध्यम से पोषित और संतुलित करती है।

सूक्ष्म तंत्र

मैं और अधिक कैसे सीखूं?

इस नए अनुभव को समझने में आपकी मदद करने के लिए, आपको नि:शुल्क ऑनलाइन पाठ्यक्रम या साप्ताहिक कक्षाओं में आमंत्रित किया जाता है जहां सामूहिक ध्यान आपके आत्म-साक्षात्कार को स्थापित करेगा। आप सीखेंगे कि पूरे दिन आंतरिक संतुलन कैसे बनाए रखें और अपने सूक्ष्म तंत्र में किसी भी असंतुलन को पढ़ें और ठीक करें। कक्षाएं दुनिया भर में 100 से अधिक देशों में आयोजित की जाती हैं। नए साधको और नियमित ध्यान करने वालों के लिए उपयुक्त। किसी बुकिंग की आवश्यकता नहीं है और सब कुछ प्रदान किया जाता है। कक्षाएं हमेशा निःशुल्क होती हैं।

अधिक जानकारी और ऑनलाइन संसाधन

श्री माताजी (संस्थापक) द्वारा वीडियो और ऑडियो ध्यान, ध्यान संगीत, संतुलन तकनीक, मुद्रित गाइड और वार्ता के साथ ऑनलाइन संसाधन। लाइव स्ट्रीमिंग ध्यान वेबकास्ट। निर्देशित ध्यान, संगीत और वार्ता के साथ पॉडकास्ट। न्यूज़लेटर समाचार और घटनाओं के लिए साइन अप करें।

संसाधन - ध्यान और संतुलन गाइड

सच्चे ध्यान की शांति का अनुभव करने में आपकी मदद करने के लिए सरल ध्यान और संतुलन तकनीक सीखने के लिए इस गाइड का उपयोग करें। यदि यह आपका पहला ध्यान है, तो कृपया अपने आंतरिक अस्तित्व को सक्रिय करने के लिए, आत्म-साक्षात्कार के लिए ‘ध्यान के लिए प्रतिज्ञान’ चरणों का पालन करें।

ध्यान और संतुलन गाइड डाउनलोड करें

संसाधन - शब्दों की शब्दावली

हमारे सत्रों में भाग लेने के दौरान, आप कई ऐसे शब्दों से रूबरू होंगे जो आपके लिए नए हो सकते हैं। यह सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले शब्दों का अवलोकन है …

सर्वव्यापी शक्ति
सर्वव्यापी शक्तिसर्व शक्तिशाली भगवान। शिव, अल्लाह और यावे सहित कई नामों से जाना जाता है।

चित्त
मन और रुचि को लागू करने का संकाय। दबाव में यह अल्पकालिक और अनुशासनहीन हो सकता है लेकिन सहज योग ध्यान के माध्यम से संकाय केंद्रित और उत्पादक बन सकता है।

संतुलन और सफाई
यदि ध्यान मुख्य रूप से दाईं ओर की गतिविधियों (सोच, क्रिया, भविष्य) या बाईं ओर (प्रतिबिंब, भावना, अतीत) पर केंद्रित है, तो रुकावटें आ सकती हैं। ध्यान में सफाई इन रुकावटों को दूर करता है और सिस्टम को केंद्र में संतुलन हासिल करने की अनुमति देता है (मानसिक मौन, शांति, अब)।

बाधा
पकड़ तब आती है जब चक्रों का कुशल कार्य क्षीण हो जाता है। ये पकड़ें कुंडलिनी के मार्ग को अवरुद्ध करती हैं और विभिन्न समस्याओं का कारण बनती हैं। जब ध्यान द्वारा इन क्षतिग्रस्त चक्रों की मरम्मत की जाती है तो समस्याएं दूर हो जाती हैं।

केंद्रीय नाड़ी
यह वह नाड़ी है जिससे होकर कुंडलिनी प्रवाहित होती है। यह तब खुलता है जब आत्म-साक्षात्कार होता है और यह कुंडलिनी का प्रवाह है जो वास्तविक और समृद्ध ध्यान लाता है।

चक्र
ये रीढ़ की हड्डी के साथ मुख्य तंत्रिका जाल में स्थित सूक्ष्म ऊर्जा केंद्र हैं। मानव प्रणाली में सात मुख्य चक्र हैं और वे विकास के चरणों से संबंधित हैं, सातवें, सिर के शीर्ष पर आत्म बोध द्वारा सक्रिय किया जा रहा है।

ठंडी हवा

आत्मज्ञान होने पर ऊर्जा सिर के ऊपर से प्रकट होती है। इसे गर्म हवा जैसी अनुभूति के रूप में महसूस किया जा सकता है। ध्यान के बाद ऊर्जा ठंडी हो जाती है और ठंडी हवा के रूप में जानी जाती है।

योग और ध्यान में अंतर

योग कुंडलिनी का सृजन की महान ऊर्जा के साथ मिलन है जो हमें (आत्म बोध) घेरे हुए है। उस जुड़ने के फलस्वरूप साधना होती है।

गुरु
आध्यात्मिक गुरु, मार्गदर्शक। कोई अपने आत्म बोध के साथ जो दूसरों को योग प्राप्त करने में सहायता करता है।

कुंडलिनी
मातृ ऊर्जा जो रीढ़ के आधार पर त्रिकास्थि में रहती है। जब आत्म-साक्षात्कार होता है तो यह ऊर्जा चक्रों और सिर के ऊपर से उठकर कुण्डलित होती है।

अंतर्मन की शांति
मानसिक गतिविधि से मुक्त होना। स्मृति या योजनाओं से संबंधित नहीं बल्कि ‘अभी’ में होना।

आनंद
होता है जब गहरा ध्यान होता है। आराम से कल्याण की एक सर्वव्यापी भावना।

कुण्डलिनी जागरण

कुंडलिनी रीढ़ के आधार पर साढ़े तीन कुंडलियों में रहती है। जब आत्म-साक्षात्कार या कुंडलिनी जागरण होता है, तो यह ऊर्जा कुंडलित हो जाती है और चक्रों के माध्यम से ऊपर उठकर सिर के शीर्ष पर प्रकट होती है।

बाई नाड़ी

यह रीढ़ की बाईं ओर ऊपर उठता है लेकिन माथे पर यह मस्तिष्क के दाहिने गोलार्ध में पार कर जाता है और सुपर ईगो बन जाता है। यह भावना, अतीत, असुरक्षा, कंडीशनिंग से संबंधित है और यदि ध्यान इस पर बहुत अधिक केंद्रित हो जाता है, तो यह अवसाद और कई दर्दनाक बीमारियों का कारण बन सकता है।

ध्यान
यह मानसिक गतिविधि के बिना विश्राम की स्थिति है। यह शांत, शांतिपूर्ण है और स्वास्थ्य, ज्ञान और आध्यात्मिक गहनता के आंतरिक मार्ग खोलता है।

दाई नाड़ी

यह रीढ़ की दाहिनी ओर से उठता है, लेकिन माथे पर अहंकार बनने के लिए मस्तिष्क के बाएं गोलार्ध में पार हो जाता है। यह कार्रवाई, भविष्य, योजना से संबंधित है और यदि ध्यान इस पर बहुत अधिक केंद्रित हो जाता है, तो यह क्रोध, तनाव और कई दर्द रहित बीमारियों का कारण बन सकता है।

सहज योग ध्यान

संस्कृत में ‘सहज’ शब्द के दो घटक हैं: ‘सह’ ‘साथ’ है और ‘जा’ ‘जन्म’ है – शाब्दिक अनुवाद “जन्मजात” है। योग का अर्थ है परमात्मा से मिलन। तो, सहज योग का अर्थ है सहज और आपके साथ पैदा होना अर्थात कुंडलिनी हमारे भीतर पैदा होती है और बिना किसी प्रयास के सहज रूप से जागृत की जा सकती है। यह आत्म साक्षात्कार है

आत्म साक्षात्कार

यह योग, मिलन, सृजन की महान ऊर्जा के साथ व्यक्तिगत आत्मा का जुड़ाव है। यह तब होता है जब कुंडलिनी (जीवन शक्ति) अपने घर से रीढ़ की हड्डी के साथ त्रिकास्थि में उठती है और सिर के शीर्ष पर फॉन्टानेल को छेदती है।

श्री माताजी

सहज योग के संस्थापक। उनका जन्म 1923 में भारत के छिंदवाड़ा में हुआ था। उनके पिता एक वकील थे जो चौदह भाषाएँ बोलते थे और भारतीय संसद के पहले ईसाई सदस्य थे। उनकी मां गणित में ऑनर्स डिग्री प्राप्त करने वाली भारत की पहली महिला थीं। स्वतंत्रता के लिए भारतीय लड़ाई में परिवार गहराई से शामिल था। श्री माताजी ने सी.पी. श्रीवास्तव, एक राजनयिक, जो संयुक्त राष्ट्र समुद्री संगठन के महासचिव बने। उनकी दो बेटियां और चार पोते हैं। 1970 में उन्होंने सहज आत्म बोध प्रदान करने का एक तरीका खोजा। इसके बाद उन्होंने दुनिया भर में कार्यक्रमों का आयोजन किया, आत्मज्ञान दिया और लोगों को सहज योग की जानकारी दी।

आत्मा
प्रत्येक मानव सूक्ष्म ऊर्जा प्रणाली के भीतर देवत्व का प्रतिबिंब।

आध्यात्मिकता
मृत्यु के बाद जीवन, वास्तविकता और अस्तित्व के गैर-भौतिक पहलुओं में गहन रुचि

सूक्ष्म तंत्र

चक्रों, चैनलों और कुंडलिनी का नेटवर्क जो किसी भी समय मनुष्य की प्रकृति को परिभाषित करता है। (यहाँ और देखें)

विचारहीन जागरूकता

ध्यान है। सभी सोच-विचार बंद हो जाते हैं, हालांकि हमारे चारों ओर ध्वनि की चेतना बनी रहती है। इस बेहद सुखद और पुरस्कृत स्थिति का पारंपरिक नाम मानसिक मौन है।

चैतन्य
शांत स्पंदन जो एक एहसास व्यक्ति महसूस करता है (अक्सर हाथ की हथेलियों पर) जब ध्यान किसी चीज पर केंद्रित होता है या संतुलन में होता है।

योग
आत्म बोध का मार्ग, और प्राप्त करना। राज योग दाहिने चैनल के साथ मार्ग है, भक्ति योग बाएं चैनल का उपयोग करता है ‘सहज का अर्थ है जन्मजात या सहज। तो सहज योग इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित करता है कि संघ (आत्म बोध) तंत्र के माध्यम से अनायास ही प्राप्त किया जा सकता है।

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नवागंतुक और नियमित लोग ध्यान करना सीखेंगे और सच्चे ध्यान का अनुभव करेंगे। 21 दिनों के दौरान, हमारी ऑनलाइन टीम आपको ज्ञान और ध्यान के तीन स्तरों के माध्यम से शुरुआती से मध्यवर्ती और उन्नत तक दैनिक रूप से निर्देशित करेगी। ग्रुप प्रैक्टिस के साथ वन टू वन हेल्प और वर्कशॉप्स उपलब्ध होंगी।

यह एक आध्यात्मिक ध्यान है जिससे हम आंतरिक ऊर्जा को जागृत करते हैं जो धीरे-धीरे हमारे भीतर सकारात्मक परिवर्तन लाती है – हमें और अधिक संतुलित, शांतिपूर्ण और आनंदमय बनाती है। जब आप दैनिक कक्षाओं में भाग लेते हैं तो आप देखेंगे कि आपके विचारों के बीच अंतराल बढ़ता जा रहा है और आप अधिक तनावमुक्त और आध्यात्मिक महसूस कर रहे हैं। सहज योग ध्यान स्वैच्छिक रूप से चलाया जाता है, हमेशा मुफ़्त और 100 से अधिक देशों में अभ्यास किया जाता है।

इंटरैक्टिव सत्रों के लिए जूम के साथ जुड़ें या YouTube पर देखें। सभी सत्रों को रिकॉर्ड किया जाएगा ताकि आप अपने समय क्षेत्र या शेड्यूल के अनुरूप सत्र भी देख सकें।

“हम सभी एक देश के अभिन्न अंग हैं। और वह देश प्रेम का है।” – श्री माताजी (संस्थापक)

सत्रों के बारे में

सहज योग ध्यान के माध्यम से, हम अपनी आंतरिक ऊर्जा को जागृत करते हैं जो धीरे-धीरे हमारे भीतर सकारात्मक परिवर्तन लाती है – हम अधिक संतुलित, शांतिपूर्ण और आनंदित महसूस करते हैं। जैसा कि आप दैनिक सत्रों में भाग लेते हैं, आप देखेंगे कि आपके विचारों के बीच का अंतर बढ़ता जा रहा है और आप अधिक आराम, शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक महसूस करेंगे।

सहज योग ध्यान के बारे में

दुनिया भर में लाखों लोग हमारे मुफ्त सहज योग ध्यान का आनंद ले रहे हैं क्योंकि यह 5 मई, 1970 को परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी द्वारा शुरू किया गया था। उनका ध्यान आत्म-साक्षात्कार को सक्षम बनाता है। आत्म-साक्षात्कार निर्विचार जागरूकता की कुंजी है, जिसे मानसिक मौन के रूप में भी जाना जाता है, और यह अच्छे स्वास्थ्य और भलाई का आधार है। सहज योग ध्यान यह अनुभव प्रदान करता है।

सहज योग ध्यान हमेशा मुफ़्त है और 100 से अधिक देशों में इसका अभ्यास किया जाता है

अधिक जानकारी

परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी की 100वीं जयंती के उपलक्ष्य में

सहज योग ध्यान के संस्थापक

मानवता को समर्पित जीवन – स्वतंत्रता सेनानी से प्रिय गुरु तक

मंगलवार 21 मार्च 2023 को, हम सहज योग ध्यान के संस्थापक श्री माताजी निर्मला देवी का 100वां जन्मदिन मनाते हैं। श्री माताजी को अपना संपूर्ण जीवन मानव जाति के आध्यात्मिक उत्थान के लिए समर्पित करने के लिए विश्व स्तर पर सम्मानित किया जाता है।

“आप अपने जीवन का अर्थ तब तक नहीं जान सकते जब तक आप उस शक्ति से नहीं जुड़ते जिसने आपको बनाया है।” श्री माताजी

सहज योग ध्यान का लाखों लोगों ने आनंद लिया

श्री माताजी ने 1970 में अपना अनूठा ध्यान शुरू किया, जो अब 100 से अधिक देशों में मुफ्त में किया जाता है और इसका आनंद लिया जाता है। उसकी नींव आत्म बोध से शुरू होने वाला ध्यान सिखता है जो हमारी आंतरिक भावना को जागृत करती है। परिणाम स्वरूप, हम अपने ध्यान में ‘निर्विचार जागरूकता’ का अनुभव करते हैं जो मानसिक, भावनात्मक, शारीरिक और आध्यात्मिक कल्याण को बढ़ावा देता है।

ऑनलाइन जन्मदिन समारोह में शामिल हों

श्री माताजी द्वारा ध्यान का अनुभव औरअंतरराष्ट्रीय सहज योगियों द्वारा प्रस्तुत संगीत, गीत और नृत्य का आनंद ले।

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